5 TIPS ABOUT BAGLAMUKHI SHABAR MANTRA YOU CAN USE TODAY

5 Tips about baglamukhi shabar mantra You Can Use Today

5 Tips about baglamukhi shabar mantra You Can Use Today

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- ह्रीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तंभय जिह्ववां कीलय बुद्धि विनाशय ह्रीं ॐ स्वाहा।

ॐ सौ सौ सुता समुन्दर टापू, टापू में थापा, सिंहासन पीला, सिंहासन पीले ऊपर कौन बैसे? सिंहासन पीला ऊपर बगलामुखी बैसे। बगलामुखी के कौन संगी, कौन साथी? कच्ची बच्ची काक कुतिआ स्वान चिड़िया। ॐ बगला बाला हाथ मुदगर मार, शत्रु-हृदय पर स्वार, तिसकी जिह्ना खिच्चै। बगलामुखी मरणी-करणी, उच्चाटन धरणी , अनन्त कोटि सिद्धों ने मानी। ॐ बगलामुखीरमे ब्रह्माणी भण्डे, चन्द्रसूर फिरे खण्डे-खण्डे, बाला बगलामुखी नमो नमस्कार।

अर्थ - बगलामुखी बीज ध्वनियों का प्रयोग मंत्र में किया गया है। इसमें शत्रुओं की विषैली जीभ, पैर और बुद्धि को स्थिर करके उन्हें शक्तिहीन करने के लिए देवी की पूजा की जाती है। एक बार उनकी गतिविधियों में बाधा डालने के बाद वे कभी भी आपके खिलाफ कुछ नहीं कर पाएंगे।

श्री अक्षोभ्य ऋषि द्वारा उपासिता श्रीबगला-मुखी

यदि आप निरपराधी हैं और शत्रु आप पर लगातार तंत्र का दुरूपयोग कर आप को परेशान कर रहा है, तब माँ के दंड विधान प्रयोग करने में विलम्ब न करें, जब तक दुष्ट  को उसकी दुष्टता का दंड नहीं मिल जाता, वह अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करता ही रहता है।

Just after featuring the ‘Bhog’, let her sit for a long time and pray in the coronary heart. "O Mom, our enemies are tormenting us, bless us and defend us from our enemies and punish them".

Vipreet Pratyangira Prayog sends again the evil spirts, tantra-mantra prayogs together with reducing the wicked and frees devotees from the many miseries.

Along with the graces of goddess Baglamukhi, you will sense a wave of fine Electricity within your more info physique, letting you to simply complete your duties.

Carry a rosary and utilize it to keep track of the mantras you're declaring. Chant your mantra for as lots of rosaries as you choose.

त्रिष्टुप् छन्दसे नमो मुखे। श्री बगलामुखी दैवतायै नमो ह्रदये।

बगलामुखी गायत्री मंत्र का जाप कौन कर सकता है?

एवं ध्यात्वा परेशानि! बगला-कवचं स्मरेत् ।।४ श्रीबगला-खड्ग-माला-स्तोत्रोक्त्त ध्यान

मदिरामोद-वनां प्रवाल-सदृशाधराम् । पान-पात्रं च शुद्धिं च, विभ्रतीं बगलां स्मरेत् ।

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